मिल्क थिसल (Milk Thistle), जिसे हिंदी में ‘धतूरा’ के नाम से भी जाना जाता है, एक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम सिलिबम मैरियानम (Silybum marianum) है। इस पौधे का मूल स्थान भूमध्य सागर क्षेत्र है, लेकिन अब इसे दुनिया भर में उगाया जाता है। मिल्क थिसल कैप्सूल, इसके बीजों से निकाले गए सक्रिय संघटक सिलीमारिन (Silymarin) से बने होते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।

मिल्क थिसल के फायदे

1. लिवर की सेहत में सुधार :- मिल्क थिसल का सबसे प्रमुख लाभ इसकी लिवर को डिटॉक्सिफाई और पुनर्जीवित करने की क्षमता है। यह लिवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है और उन्हें विषाक्त पदार्थों से बचाता है। इसके नियमित सेवन से लिवर की बीमारियों, जैसे सिरोसिस और हेपेटाइटिस, में सुधार हो सकता है।

2. एंटीऑक्सीडेंट गुण

सिलीमारिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर में मुक्त कणों को कम करने में मदद करता है। यह कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाता है और बुढ़ापे के प्रभाव को कम करता है।

3. पाचन तंत्र का सुधार

मिल्क थिसल पाचन तंत्र के लिए भी फायदेमंद है। यह बाइल के उत्पादन को बढ़ाता है, जो पाचन में मदद करता है और पित्ताशय की पथरी के खतरे को कम करता है।

4. त्वचा की सेहत

मिल्क थिसल का उपयोग त्वचा की समस्याओं, जैसे मुंहासे और एक्जिमा, के उपचार में भी किया जाता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद करते हैं।

5. रक्त शर्करा नियंत्रण

कुछ अध्ययनों से पता चला है कि मिल्क थिसल का उपयोग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

उपयोग और खुराक

मिल्क थिसल कैप्सूल विभिन्न ताकतों में उपलब्ध होते हैं। इसे लेने से पहले किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें। सामान्यतः, एक दिन में 200-400 मिलीग्राम सिलीमारिन की खुराक सुरक्षित मानी जाती है। इसे भोजन के साथ लेना अधिक फायदेमंद होता है।

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